राशिफल का महत्व क्या है ? और यह कितनी तरह की होती है ?
राशिफल का मानव जीवन पर बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण जगह है। इससे आपके भविष्य के बारे में कुछ बाते जानने को मिलती है। आपके जीवन की कई जरूरत पूरी करने में यह सहायक है। राशिफल से आपको यह जानने में मदद मिलती है कि आपका आज का दिन कैसा होगा और भविष्य के बारे में भी अनुमान लगाया जाता है। राशिफल का महत्व हम सभी के लिए जानना बहुत ही जरूरी है। बहुत सी बाते है जो की सत्य है लेकिन लोग मानते नहीं है और फिर बाद में उनको पछतावा होता है। अब बात आती है कि राशि 2 रूप में देखी जाती है। एक तो जन्म के हिसाब से देखी जाती है और दूसरी नाम के हिसाब से देखी जाती है। तो आपको इसमें ज्यादा उलझने की जरूरत नहीं है आपको नीचे इसके बारे में स्पर्श रूप से बताया गया है।
जन्म के हिसाब से तब राशिफल देखा जाता है। जब शादी के योग, विद्या आरंभ करते समय, यज्ञोपवीत करते समय में देखी जाती है। दैनिक राशिफल के लिए नाम राशिफल को देखा जाता है। यहां पर इसके बिच में अंतर् भी पाया जाता है। जिनका जन्म जिस नक्षत्र में हुआ है उस हिसाब से जन्म की राशि निकली जाती है। फिर आप उसे बच्चे का नामकरण करना है भी कहते है। जो नाम आप अपनी मर्जी से बच्चे का रखते है उसे नाम राशि कहा जाता है।
राशि के प्रकार
राशि के 12 प्रकार है। इन राशियों को 27 नक्षत्रो में बांटा गया है। एक राशि में 30 अंश होते है। हर राशि का अपना अपना महत्व है। इसके भाग अपने आप में एक आकृति बनाते है। इसी आकृति के नाम प्रत्येक राशि का नाम रखा जाता है। नाम के अनुरूप सभी राशियों का अपना एक अलग महत्व होता है। अपनी राशि के हिसाब से ही सब लोग राशि पढ़ते है। इसमें कई बाते सच भी होती है। इसको पढ़ते समय ध्यान रहे कि आप इसे मजाक में न ले।
12 रशियो के नाम
मेष-
वृषभ-
मिथुन-
कर्क-
सिंह-
कन्या-
तुला-
धनु-
मकर-
कुंभ-
मीन-
मेष :- इसका राशि स्वामी मंगल है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष - जाती, लाल - पीले वर्ग , वर्ण क्राँतिहीन, कारक होते है। मस्तक का विचार किया जा सकता है। इनका स्वभाव अहंकारी, साहसी तथा मित्रो के प्रति दयालुता का होता है।
वृषभ :- इसका राशि स्वामी शुक्र है तथा यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाती, वैश्य वर्ण, भूमि तत्व वाली , स्थिर संज्ञक, शिथिल शरीर, शुभदायक तथा महाशब्दकारी है। इसका सवभाव स्वार्थी, सांसारिक कार्यो में दक्षता और भुद्धिमता से काम लेने का होता है।
मिथुन :- इसका राशि स्वामी भूढ़ है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाती , हरित वर्ण, चिकनी , शूद्र वर्ण, पश्चिम वायु और विषमोदयी है। इसके द्वारा शरीर के कंधो और बाजुओं का विचार किया जाता है।
कर्क :- इसका राशि स्वामी चन्द्रमा है। यह उत्तम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाती, रक्त धवल , जलचारी, सौम्य और कफ प्रकृति वाली , बहुसंतान चरण रात्रिबली है। इसका स्वभाव लज्जा, सांस्कारिक उन्नति के लिए प्रयत्नशील , और समय के अनुसार चलना है।
सिंह :- इसका राशि स्वामी सूर्य है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाती , पीत वर्ण, क्षत्रिय वर्ण, अग्नि तत्व वाली , यात्राप्रिय होते है। इसका स्वभाव मेष के समान होता है। लेकिन इनमे उदारता और स्वातन्त्र्यप्रियता अधिक पाई जाती है। इसके द्वारा हदय का विचार किया जाता है।
कन्या :- इसका राशि स्वामी बुध है। यह साक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाती, पिंगल वर्ग , दृव्यसव्भाव, वायु और सहित प्रकृति, पृथ्वी तत्व वाली, रात्रिबली है। इसका सवभाव मिथुन राशि जैसा होता है , लेकिन यह अपनी उन्नति और सम्मान पर विशेष ध्यान देती है। इसके द्वारा पेट का विचार किया जा सकता है।
तुला :- इसका राशि स्वामी शुक्र है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाती, श्याम वर्ण, चर संज्ञक, शूद्र वे, वायु तत्व वाली , दिनबलि, पादजाल राशि है। इसका स्वभाव ज्ञान - प्रिय, राजनीतिज्ञ, विचारशील एवं कार्य सम्पादक है। इसके द्वारा नाभि से निचे के अंगो पर विचार किया जा सकता है।
वृश्च्कि :- इसका राशि स्वामी मंगल है। यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, शुभ वर्ण, कफ प्रकृति , रात्रिबली, अर्द्धजल तव वाली है। इसका स्वभाव स्पष्टवादी, निर्मल, दृढ़ प्रतिज्ञ, हठी था दम्भी है।
धनु :- इसका राशि स्वामी गुरु है। यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। ये पूर्ण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, स्वर्ण वर्ग, क्षत्रिय वर्ण, दृव्यस्व्भाव, दिनबली, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, दृढ़ शरीर और अर्द्धजल तत्व वाली राशि है। इसका स्वभाव करुणामय , मर्यादाशील तथा अधिकारप्रिय है।
मकर :- इसका राशि स्वामी शनि है। यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, रात्रिबली, वैश्य वर्ण, पृथ्वी तत्व वाली, शिथिल शरीर और वाट प्रकृति वाली है। इसका स्वभाव उच्च स्थिति का अभिलाषी है।
कुंभ :- इसका राशि स्वामी शनि है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह यह राशि पुरुष जाति, विचित्र वर्ण, वायुतत्व वाली, शूद्र वर्ण, त्रिदोष प्रकृति वाली, ऊष्ण स्वभाव, अर्द्धजल, मध्यम संतान वाली, शीर्षोदय, क्रूर तथा दिनबली है। इसका स्वभाव शांत, विचारशील और धर्मिक तथा नवीन वस्तुओ का अविष्कारकर्ता है।
मीन :- इसका राशि स्वामी गुरु है। यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, जल तत्व वाली, ब्राह्मण वर्ण, कफ प्रकृति और रात्रिबली है। यह पूर्ण रूप से जल राशि है। इसका सवबाव दयालु, दानी और श्रेष्ठ है।
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